घरअपनी देखभालस्वयं को और दूसरों को स्वीकार करें

जी हाँ, आप यह कर सकते हैं!

स्वयं कोऔर दूसरों को स्वीकार करें

स्वयं केऔर दूसरों के प्रति स्वीकार्यता विकसित करने के लिए दाजी कुछ आसान अभ्यासों का उल्लेख कर रहे हैं।ये अभ्यास आपका जीवन बदल देंगे क्योंकि इन्हें करने से आप पीड़ा, शिकायतें और अपराधबोध, जिन्हें आपने पकड़ रखा है, उन्हें छोड़ पाते हैं और आप संतुष्टि के साथ वर्तमान में जीने लगते हैं।

प्रिय मित्रों

हमारे दैनिक संघर्ष अक्सरअपूर्ण अपेक्षाओं का, योजनाओं के गड़बड़ हो जानेका और परिस्थितियोंपर नियंत्रण नहोने की भावनाका परिणाम होतेहैं। ऐसे में आंतरिक शांतिकी अवस्था कोकैसे विकसित करेंऔर जो कुछ भी हमें मिलता है उसे कैसे स्वीकारकरें?

जब हम स्वीकार करनेकी कला सीख लेते हैंतब यह स्वीकार्यताही हमारे जीवनको सफल बनातीहै। 

जीवनअप्रत्याशित घटनाओं सेभरा हुआ है और बदलावोंसे गुज़रना हमेशाआसान नहीं होता।बेहतर यही है कि बहुतज़्यादा उम्मीदें नरखी जाएँ। जीवनहमें जो कुछ भी देताहै, जब हम उसे स्वीकारकर पाते हैंतब हम बिना व्याकुल हुए परिस्थितियोंके साथ-साथ अपने औरदूसरों के कार्योंके अनुरूप निरंतरढलना सीख जातेहैं। कोई भी मनुष्य पूर्णनहीं होता। हमअपनी-अपनी अपूर्णताओंके साथ एक-दूसरे सेभिड़ते रहते हैं।

हमकुछ चीज़ों कोतो बहुत आनंदपूर्वकस्वीकार करते हैंऔर अन्य चीज़ोंके विमुख होजाते हैं। जब हमारे हृदयसंकुचित हो जाते हैं तबयह स्वीकार्यता काभाव अलविदा कहदेता है। हम उन लोगोंऔर उनके स्वभावको अधिक आसानीसे स्वीकार करलेते हैं जो हमारे अपनेहोते हैं। जब वे हमारेअपने नहीं होतेतब मामला अलगहो जाता है।लेकिन अपने हृदयके साथ जुड़करअपने भीतर गहराईमें उतरने सेएक नया दृष्टिकोणउभरकर आता है जो हमेंस्वीकार करने तथासमानुभूति और करुणाके साथ विकसितहोने में सहायताकरता है।

यहाँपर खुद के और दूसरोंके प्रति स्वीकार्यताबढ़ाने के लिए कुछ सरलअभ्यास प्रस्तुत हैं

आत्म-स्वीकरण 

चुपचापबैठ जाएँ और इस भावनाके साथ स्वयंको गले लगाएँकि आप जैसे भी हैं, आपको अच्छे लगरहे हैं। कुछदेर तक इसी मुद्रा मेंबने रहें। ऐसाकरने से चिंता, दुःख और कठिन परिस्थितियों तथा पीड़ा (दी गई या प्राप्त की गई) से संबंधितनिरंतर आने वालेविचारों से स्वयंको मुक्त कियाजा सकता है।


(अपने हृदय के साथ जुड़कर अपने भीतर गहराई में उतरने से एक नया दृष्टिकोण उभरकर आता है जो हमें स्वीकार करने तथा समानुभूति और करुणा के साथ विकसित होने में सहायता करता है।)


छोड़दें

  • आरामदेहमुद्रा में बैठ जाएँ।
  • कोमलतासे अपनी आँखेंबंद करें और अपना ध्यानअपने हृदय पर ले आएँ।अपने हृदय की गहराई में, जितना हो सके, डूब जाएँऔर कुछ देर तक वहींबने रहें। 
  • सबकुछ स्वीकार करनेकी अपने हृदयकी योग्यता कोमहसूस करें। स्वीकार्यताके इस भाव को अपनेमाध्यम से फैलनेदें। जब आप स्वीकार कर पाते हैं तबउससे पैदा होनेवाली शून्यता परगौर करें। 
  • दिव्यताकी उपस्थिति काआह्वान करें जो उस शून्यतामें स्वाभाविक रूपसे प्रवाहित होगी।
  • स्वीकार्यताकी अवस्था कीगहराई में जाएँऔर दिव्यता कीउपस्थिति का अपनेअंदर विस्तार होनेदें। 
  • दिव्यतामें गहराई तकडूबे रहते हुएअपनी गलतियों केलिए क्षमा याचनाकरें, भले ही गलतियाँ अनजाने मेंहुई हों। संकल्पलें कि आप उन्हें दोबारानहीं करेंगे।
  • इसपूर्ण आत्म-स्वीकरणकी अवस्था मेंकुछ मिनट तक बने रहें।

दूसरोंके प्रति स्वीकार्यतासकारात्मक विचारों का बीजारोपण

कभी-कभी दूसरोंके व्यवहार औरकार्यों को स्वीकारकरना कठिन होताहै। यह हमारेसंतुलन को बिगाड़करहमें तनाव देताहै। यह अभ्यासउन्हें स्वीकार करनेव समझने मेंहमारी सहायता करताहै। 

  • आरामसे बैठ जाएँऔर अपनी आँखेंबंद कर लें। 
  • अपनेसामने उस व्यक्तिके स्वरूप कीकल्पना करें।
  • यहविचार लें, “यहव्यक्ति मेरा मित्रहै और मेरी भलाई चाहताहै।
  • सोचेंकि इस व्यक्तिके मन से आपके प्रतिसभी नकारात्मक विचारबाहर निकल रहेहैं और उनके बदले मेंउसके अंदर आपकीभलाई से संबंधितविचार जा रहे हैं। 
  • जबआप अपनी साँसबाहर छोड़ें तबयह विचार लेंकि आपके प्रेमऔर स्नेह केकण उसके हृदयमें प्रवेश कररहे हैं।
  • जबआप अपनी साँसअंदर लें तब यह विचारलें कि उसके हृदय मेंआपसे संबंधित सभीनकारात्मक विचारों को आप खींच करबाहर फेंक रहेहैं। 

प्रारंभमें आपको प्रतिरोधमहसूस हो सकता है लेकिनयदि आप साहसीहैं तो जैसे-जैसे आपइसे करेंगे यहआसान होता जाएगा।

येअभ्यास तब अधिक प्रभावशाली होते हैंजब आप एक प्रमाणित प्रशिक्षक केसाथ हार्टफुलनेस ध्यानके तीन सत्रपूरे कर लेते हैं। आपइस लिंक www.heartspots.heartfulness.org. की सहायतासे अपने नज़दीकीप्रशिक्षक से संपर्ककर सकते हैं।

मेरीओर से आप सभी कोशुभकामनाएँ, दाजी 

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दाजी

दाजी हार्टफुलनेसके मार्गदर्शक

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