घरव्यवसाय का पुनरुद्धार

जनवरी, वर्ष 2024 में यूरोप में पर्यावरण ऊर्जा में क्रांति लाने वाली दो प्रमुख हस्तियाँ पुनरुद्धार के बारे में चर्चा करने के लिए पेरिस में मिलीं। वे हैं एक्सा क्लाइमेट के ऑन्तवाइन डेनोआ और अमेरेंको के अलान डेवीन। आइए, उनके आपसी तालमेल और खोजों का आनंद लें।

पुनरुद्धार क्या है?

ऑन्तवाइन - मेरे अनुसार स्वयं को सभी प्रकार के जीवन की सेवा में लगाना पुनरुद्धार है। किसी व्यवसाय के संदर्भ में पुनरुद्धार करने का अर्थ है, इस पृथ्वी की पर्यावरणीय सीमाओं के अंदर एक जीवित तंत्र के रूप में सोचना व काम करना और उसके क्रियाकलापों में मानव और मानवेतर जीवन के विकास का इरादा होना।

अलान - मेरे अनुसार जब सभी जीव मिलकर एक ही स्वर में गाने लगें तो वह पुनरुद्धार है।

हम लोग पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित सेवाओं के बारे में बात करते हैं लेकिन यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात है क्योंकि यह प्रकृति के प्रति मानव-केंद्रित दृष्टिकोण है। इसके बदले मैं इन सेवाओं को मानव-तंत्र सेवाएँ कहना पसंद करता हूँ अर्थात ऐसी सेवाएँ जो मनुष्य संपूर्ण प्रकृति के साथ आदान-प्रदान स्थापित करने के लिए प्रकृति को प्रदान कर सकता है।

इन दोनों दृष्टिकोणों में अंतर यह है कि प्रकृति के अन्य सभी जीव अपनी सेवाएँ मनुष्य को स्वाभाविक रूप से देते रहते हैं जबकि मनुष्य के पास विकल्प है कि वह इस पृथ्वी पर जीवन के विकास में सहयोग दे या नहीं।

एक समानार्थी

ऑन्तवाइन - जीवन

अलान - चेतना 

एक रेखाचित्र 

ऑन्तवाइन - परस्पर जुड़े हुए पारिस्थितिकी तंत्र

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अलान - परिधि से केंद्र की ओर तथा केंद्र से परिधि की ओर। 

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एक पेंटिंग

ऑन्तवाइन - प्राकृतिक परिदृश्य और घर वापसी को चिह्नित करने वाले शिकारियों के पदचिह्नों के लिए पीटर ब्रूगल द एल्डर का ‘हन्टर्स इन द स्नो’।

अलान - अंबर आर्ट एंड डिज़ाइन द्वारा निर्मित ‘फ़ार्मिंग इन हारमनी’ नामक भित्तिचित्र जो रोडेल इंस्टिट्यूट हेडक्वार्टर्स, कुट्ज़टॉउन, पेनसिलवेनिया, अमेरिका में स्थित है।

एक वैचारिक झुकाव 

ऑन्तवाइन - अभौतिक

अलान - एकीकृत

एक रंग

ऑन्तवाइन - आसमानी नीला जो सदैव दृष्टिगत है, बस ऊपर देखो।

अलान - भूरा क्योंकि यह मुझे मिट्टी की याद दिलाता है।

एक संगीत रचना

ऑन्तवाइन - जे.एस. बाक का गोल्डबर्ग वेरियेशन्स, ग्लेन गूल्ड द्वारा बजाया गया

अलान - मौन

एक मनोभाव

ऑन्तवाइन - परिहास 

अलान - उदारता से सुनना

हमारी पृथ्वी के इतिहास का स्मरणीय पल

ऑन्तवाइन - वर्ष 1906, जब मार्सल प्रूस्ट ने अपनी उत्कृष्ट कृति, ‘द सर्च फ़ॉर लॉस्ट टाइम’, को लिखना शुरू किया।

अलान - वर्ष 2024

आपके जीवन का विशिष्ट पल

ऑन्तवाइन - जब मेरी पुत्री का जन्म हुआ

अलान - वर्तमान क्षण

आंतरिक हालत

ऑन्तवाइन - आनंद 

अलान - रिक्तता

एक यात्रा

ऑन्तवाइन - कोई किताब

अलान - आंतरिक यात्रा

एक कविता

ऑन्तवाइन - रेने चार (फ्रेंच कवि) द्वारा लिखित ‘केलॉन्डरियेर पोर ले नूवेल फ़ूआ’ (नए विश्वास के लिए कैलेंडर)

अलान - एडम होरोविट्ज़ द्वारा लिखित ‘द सॉइल नेवर स्लीप्स’

एक विशिष्ट स्थान

ऑन्तवाइन - ले प्लौंब ड्यू कौन्तैल, ऑवैरने, फ्रांस

अलान - हमारा छोटा-सा ग्रह (पृथ्वी का व्यास एक प्रकाश वर्ष का 1.346 खरबवाँ हिस्सा है जबकि प्रत्यक्ष ब्रह्मांड का अनुमानित व्यास 93 अरब प्रकाश वर्ष है)।

एक चित्र 

ऑन्तवाइन - ले प्लौंब ड्यू कौन्तैल, ऑवैरने, फ्रांस

अलान - चेर्नोबिल 2023

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एक संबंध 

ऑन्तवाइन - मैत्री

अलान - बहु-आयामी संबंध 

एक देश

ऑन्तवाइन - फ्रांस

अलान - भारत

एक व्यक्ति

ऑन्तवाइन - मेरे पिता

अलान - मेरी माँ

साथ

ऑन्तवाइन - मानव यात्रा

अलान- भविष्य के सभी साथ 

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हृदय और मन का मिलन

अलान - मुझे हमारे शुरुआती संपर्क की समकालिकता याद है। उसी सप्ताह के भीतर एशिया के मेरे महाप्रबंधक की आपके सिंगापुर के महाप्रबंधक से भेंट हुई थी। हमारी टीम के अन्य सदस्य हेक्टर में मिले थे। हेक्टर पेरिस से जुड़ा 600 हेक्टेयर में फैला हुआ कृषि परिसर है जहाँ के विशिष्ट पारिस्थितिकी-तंत्र में कृषि, उद्यमशीलता और प्रौद्योगिकी एकसाथ मौजूद हैं। संयोग से मैंने लिंक्ड-इन पर आपकी एक पोस्ट पढ़ी जिसमें मुझे लगा जैसे मेरे ही विचारों को दोहराया गया था। 

मुझे याद है कि जब मैंने आपके लिंक्ड-इन पोस्ट में आपका पदनाम, ‘मुख्य पारिस्थितिकी अधिकारी’ देखा तब मेरे मन में यह विचार आ रहा था, “इस व्यक्ति की एक्सा क्लाइमेट में वास्तविक भूमिका क्या हो सकती है?” वास्तव में शुरू में मुझे लगा कि आप किसी टीम के वरिष्ठ अधिकारी तो हैं लेकिन मुख्य कार्यकारी अधिकारी नहीं।

ऑन्तवाइन - जब हमारी पहली बार बात हुई तभी मैंने हमारे बीच एक गहरा जुड़ाव महसूस किया था। पहले ही क्षण से हममें परस्पर विश्वास पैदा हो गया था। इसके कारण बातचीत में हम सीधे मुद्दे पर यानी हमारे प्रमुख प्रेरणा स्रोत पर आ सके जो था कि अपनी कंपनियों के माध्यम से मानव और मानवेतर जीवन की सेवा करना। तब से हमारी सहकार्यता ने हमेशा ही इस पक्ष का खयाल रखा है।

अलान - आपने एक्सा क्लाइमेट का उद्देश्य बताया - पुनर्योजी व्यवसाय को सार्वभौमिक बनाना। लेकिन मुझे याद नहीं आता कि आपने कभी यह बताया हो कि आपने इस तरह के उद्देश्य को लेकर व्यवसाय को क्यों शुरू किया। इसे प्रारंभ करने का कारण व संदर्भ क्या थे और आपकी यात्रा की शुरुआत कैसे हुई? क्या यह एक गहन अध्ययन और आत्मनिरीक्षण का परिणाम था या यह अचानक मिली अंत:प्रेरणा से शुरू हुआ?

ऑन्तवाइन - यह पाँच वर्ष से अधिक लंबी यात्रा का परिणाम है। जब मैंने वर्ष 2019 में पाँच कर्मचारियों के साथ एक्सा क्लाइमेट कंपनी आरंभ की थी तब हमने उसे जलवायु और पर्यावरण पर विशेषज्ञता के बगैर एक बीमा कंपनी की तरह शुरू किया था। उस समय मेरा उद्देश्य काम की दुनिया में तकलीफ़ों को कम करना भर था।

हमने धीरे-धीरे विज्ञान के सूत्र पकड़े - जलवायु, इस ग्रह की पर्यावरणीय सीमाएँ और मात्रा-आधारित आर्थिक आदर्शों को इसमें सम्मिलित किया। हमने यह समझा कि सिर्फ़ नकारात्मक प्रभाव कम करना ही काफ़ी नहीं है। यह पृथ्वी ऐसी स्थिति में थी कि व्यवसायों की मूल सोच को नष्ट करके उसका पुनर्निर्माण करना बहुत ज़रूरी था; उन्हें ऐसी मशीनों की तरह, जिनसे हमेशा कुछ न कुछ निकाला जा सके, मानने और बनाने की बजाय उन्हें जीवन की सेवा करने वाला जीवन तंत्र अर्थात पुनरुद्धार करने वाला व्यवसाय बनाना ज़रूरी था। 

पाँच वर्ष के पश्चात् आज एक्सा क्लाइमेट में लगभग 200 कर्मचारी हैं जो व्यवसाय के इस पुनरुद्धार को प्रशिक्षण, बीमा, धन और सामान्य सलाह द्वारा संभव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

अलान आपके लिए पुनरुद्धार के पथ पर अपने व्यवसाय को ले जाना भी सरल कार्य नहीं रहा है। जब आपने इस बारे में मुझसे पहली बार बात की थी तब अपने लिए ऐसा उद्देश्य निर्धारित करना एक बाज़ी थी। अमेरेंको में केवल कुछ ही लोग इस अवधारणा से अवगत थे। क्या आप बताएँगे कि आपने कौन-सा रास्ता अपनाया था?

अलान - हाँ और अक्सर ऐसा लगता है जैसे अभी भी हम अपने अज्ञात लक्ष्य की ओर यात्रा की शुरुआत में ही हैं!

कुछ वर्ष पहले मुझे एक अलौकिक एहसास हुआ जब मैं एक प्रेरणादायक और अभूतपूर्व वृत्तचित्र, ‘किस द ग्राउंड’, देख रहा था। उसमें मिट्टी को हिमशैल की तरह अभिव्यक्त किया गया था। उस समय मुझे समझ आया कि उसमें हमारे वैश्विक पर्यावरण संकट का वास्तविक समाधान है। मैंने मिट्टी में जीवन के बारे में और मिट्टी में उस जीवन के न होने के परिणाम के बारे में अध्ययन करना शुरू किया। इस तथ्य को जानकर मेरे होश उड़ गए कि मानवता इस धरती को कुचलती जा रही है बिना यह जाने-समझे कि इसमें कौन-कौन से अद्भुत खज़ाने हैं। ऑन्तवाइन डु सेंट-एक्ज़्यूपेरी ने अपनी पुस्तक, ‘द लिटिल प्रिंस’ में यह लिखा था, “हमारे लिए जो आवश्यक है वह हमें आँखों से दिखाई नहीं देता।” अब मुझे यह कथन बेहतर समझ आ रहा था। 

मुझे यह आभास होने लगा कि पूँजीवाद या तो उत्थान की ओर ले जाता है या फिर पतन की ओर। इन दोनों के बीच कुछ नहीं है। यह या तो रचनात्मक शक्ति है या फिर विनाशकारी शक्ति है। इस स्थिति में क्या कॉरपोरेट जगत में काम करने वालों के पास इस ऊर्जा का रचनात्मक ताकत के रूप में उपयोग करने के अलावा अन्य कोई विकल्प है?

मेरे मन में उभरे इस भाव और उसके पश्चात् के अध्ययन-काल में मैंने यह देखना प्रारंभ किया कि हमारी कंपनी अपनी गतिविधियों के चलते किस प्रकार पुनर्योजी अर्थव्यवस्था के उद्भव में सहयोग कर सकती है। अपनी सभी नई परियोजनाओं में पारितंत्र के पुनरुद्धार को शामिल करके हमने यह परिवर्तनकारी यात्रा आरंभ की। इसके लिए निदेशक मंडल ने सर्वसम्मति के साथ थोड़ी पूँजी नियत की। 

जैसा कि आप जानते हैं, मैं आपकी प्रमुख पहल, ‘द बटरफ़्लाई स्कूल’, का प्रशंसक हूँ। यह एक अद्भुत यात्रा है जिसे आपने लूमिया व ला ज़ोली प्रॉड के साथ व्यवसायों को पुनर्योजी बनने में सहायता देने के लिए प्रारंभ की। मैंने अपने सभी 300 कर्मचारियों को इसका प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव दिया है। मुझे यह पसंद है क्योंकि इससे मुझमें ऊर्जा भर जाती है। इसने मुझे उम्मीद दी है कि कंपनियों की चुनी राह के पीछे अच्छे इरादे हो सकते हैं। कॉर्पोरेट पारिस्थितिक तंत्रों की भूमिका सचमुच बेहतर हो सकती है और चेतना के सही बदलाव के साथ प्रकृति के विकास में बेहतर तरीके से योगदान दे सकती है।

इस प्रशिक्षण के दौरान आप जीने के 9 सिद्धांतों का हवाला देते हैं जो कुछ हद तक ‘नौ ग्रहीय सीमाओं’ को दर्शाता है। यदि आपको इनमें से किसी एक सिद्धांत को चुनना हो तो वह कौन-सा है जिससे आप व्यक्तिगत तौर पर जुड़ाव महसूस करते हैं और क्यों?

प्रकृति हमारी प्रेरणा है

ऑन्तवाइन - जितना संभव हो ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए हमारी प्रेरणा का आदर्श है - प्रकृति। यदि कोई कॉर्पोरेट किसी वन की तरह एक जीवित पारिस्थितिकी तंत्र हो तो कैसा हो? वह बिलकुल ही अलग प्रकार के सिद्धांतों के अनुसार कार्य करेगा (9 सिद्धांत जो आपने बताए हैं) - विकेंद्रीकरण, उप-इष्टतमत्व, विलक्षणता, सीमित प्रगति इत्यादि। ये विद्यमान कॉर्पोरेट धारणा के सामने बड़े और भारी शब्द लगते हैं।

मेरा पसंदीदा शब्द -उप-इष्टतमत्व (sub-optimality) है जिसे हासिल करना सबसे मुश्किल है। हम दशकों से प्रदर्शन के सर्वव्यापक नियमों के मुताबिक जीते चले आ रहे हैं अर्थात हम जीडीपी, उत्पादन, लाभ इत्यादि जैसे सीमित मात्रात्मक मानदंडों को इष्टतम बनाने की कोशिश में मशीन की तरह लगे हुए हैं। इस पागलपन में हमने धीरे-धीरे कम मात्रात्मक मानदंडों, जिनका संबंध प्रायः जीवों से होता है, को बर्बाद कर दिया है। इस उन्मत्त दौड़ के कारण हम – हमारा समाज, व्यवसाय और लोग – एक अत्यंत ही नाज़ुक स्थिति में आ गए हैं जिसे सरलता से अनुकूलित नहीं किया जा सकता। उदाहरणार्थ - जब एक बार एक साधारण-सा जहाज स्वेज़ नहर के रास्ते में फंस गया और आयात का प्रवाह रुक गया तब कैसी विकट स्थिति पैदा हो गई थी। गहन खेती करते-करते हमने मिट्टी का ह्रास किया है। 

इस स्थिति की तुलना उस कंपनी के साथ करें जो कार्य-प्रदर्शन से अधिक दृढ़ता को प्राथमिकता देती हो। इससे अनुकूलन ज़्यादा आसानी से होगा। यह एक बहुत अच्छा उलटाव है। उदाहरण के लिए, जब हम अपने भंडार, आपूर्तिकर्ताओं की विविधता और स्थानीय क्षेत्र के संसाधनों, ग्राहकों की नज़दीकी को प्राथमिकता देते हैं तो क्या होता है? आज इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को निरंतर कुछ नई सुविधाओं के साथ नित नए व अधिक कुशल रूपों में ‘पुनर्प्रस्तुत’ किया जा रहा है। यदि इसके बजाए हम आसपास ही उपलब्ध मॉड्यूलर पुर्ज़ों का उपयोग करके मौजूदा मशीनों की मरम्मत को प्राथमिकता दें तो कितना अच्छा हो। 

कार्य-स्थल पर कर्मचारियों के स्वास्थ्य के संरक्षण का भी एक बड़ा मुद्दा है। कई कर्मचारी काम के बोझ तले दबे रहते हैं जिसके परिणामस्वरूप या तो उनकी अनुपस्थिति अधिक रहती है या फिर वे ज़्यादातर थके हुए रहते हैं। इसमें भी हम प्रकृति से प्रेरणा ले सकते हैं। जैसे हमारे शरीर का तापमान 37° सेन्टीग्रेड होता है जो एन्ज़ाइम के लिए अधिकतम तापमान 40° सेन्टीग्रेड की तुलना में काफ़ी कम है। लेकिन इस अंतर की वजह से संक्रामक रोग होने पर भी हमारा शरीर चतुराई से साथ काम करता रहता है। हमें अपनी व्यवस्थाओं में कुछ अकुशलता को भी स्थान देना होगा।

आप अपनी कंपनी के लिए एक अलग ही लक्ष्य को मानते हैं। बाज़ार में अमेरेंको का उल्लेख एक संकेत के रूप में किया जाता है। और अब जब आपका विस्तार इतना ज़्यादा हो चुका है तो आपका प्रभाव भी पड़ रहा है। आप इन सिद्धांतों को दैनिक जीवन में कैसे लागू कर पाते हैं? विशेषकर विभिन्न शेयरधारकों के रहते यह आसान नहीं होगा।

अलान - हम सामूहिक रूप से इन सभी सिद्धांतों के अनुसार रोज़ाना जीने से अभी कोसों दूर हैं। मैं लाओ ज़ू के दर्शन का अनुसरण करता हूँ - “हज़ारों मीलों की यात्रा भी एक कदम से ही शुरू होती है।” इसलिए हमने उन परियोजनाओं में निवेश और विकास करना आरंभ किया है जो पुनर्योजी हैं।

हमने सफलतापूर्वक अपनी विशिष्टता समझी जो पुनरुत्पादक इलेक्ट्रानों का उत्पादन और आपूर्ति करना है। इसका अर्थ है उस बिजली के उपयोग का विस्तार करना जिससे न केवल कार्बन फुटप्रिंट (हमारे कार्यों से कार्बन डाई ऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों का उत्पन्न होना) कम होता है बल्कि जहाँ भी हम अपनी मूलभूत संरचनाओं व सुविधाओं का उपयोग करते हैं वहाँ के पर्यावरण और समाज पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। हमने इसका प्रभाव मापने और मूल्यांकन करने के लिए एक मज़बूत वैज्ञानिक कार्य-प्रणाली विकसित की है। हम इस क्षेत्र में पहले हैं इसलिए हम यह दावा नहीं करते कि हमारे पास सभी समस्याओं के हल हैं। फिर भी हम पूरे दृढ़-विश्वास, जूनून, दृढ़संकल्प और विनम्रता के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हम सब कुछ नहीं जानते इसलिए हम अध्ययन, कोशिश, सीखने और सुधार करने में लगे रहते हैं।

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अपनी विशिष्टता (जो हमारे बटरफ़्लाई प्रशिक्षण के नौ मूल जीवंत सिद्धांतों में से एक है) को प्रतिदिन अभिव्यक्त करना और आश्वस्त रहना कि हमारे सच्चे इरादे और कड़ी मेहनत हमारी आशा के अनुसार फल व लाभ देंगे, हमें जीवंत बनाए रखते हैं।

चुनौतियों के साथ काम करना

एक सिद्धांत जो मुझे चुनौतीपूर्ण लगता है, वह है विकेंद्रीकरण। हम पूँजी-प्रधान उद्योग में काम करते हैं। और वित्तीय शेयरधारकों की अपने निवेश पर नियंत्रण रखने की स्वाभाविक चाह होती है जिसके कारण उत्पन्न गुरुत्व बल में इतना सामर्थ्य होता है कि वह विकेंद्रित प्रबंधन में हस्तक्षेप करे जहाँ हर कोई सोचता है कि कोई भी निर्णय उन सबके सहजीवी दृष्टिकोण का परिणाम है।

मैं मानता हूँ कि वित्तीय प्रवाह जैसे किसी भी प्रकार के ऊर्जा प्रवाह को नियंत्रित करने की ज़रूरत का संबंध अनिश्चितता को स्वीकार करने में कठिनाई और दूसरों के प्रति विश्वास की कमी से है। जब लोगों का एक छोटा-सा समूह एक बड़े समूह पर नियंत्रण रखने का प्रयास करता है तो वे सुरक्षा और पूर्वानुमान करने की भावना उत्पन्न करने का प्रयास करते हैं। और ऊर्जा की मात्रा जितनी अधिक होगी ऐसे लोगों द्वारा नियंत्रण रखने की बाध्यता उतनी ही अधिक होगी। लेकिन मुझे गलत न समझें। मैं नियमित जाँच, विश्लेषण, जोखिमों और सामने आई चुनौतियों को साझा करने के साथ-साथ विभिन्न हितधारकों से सुझाव भी लेने में विश्वास करता हूँ।

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मैं कई बार अत्यंत आदर्शवादी लग सकता हूँ लेकिन मेरा सपना है कि मैं अपनी कंपनी में भी उसी तरह काम कर सकूँ जिस तरह क्रिसमस पर मैं अपनी पत्नी और वयस्क बच्चों के साथ भोजन बनाता हूँ। हम एक साझे उद्देश्य से आरंभ करते हैं - इस महत्वपूर्ण अवसर पर जब परिवार के सदस्य एक साथ होते हैं तब एक अविस्मरणीय भोजन बनाने के लिए सभी अपना सर्वश्रेष्ठ सहयोग दें। हम ध्यानपूर्वक व्यंजनों को चुनते हैं, सभी अलग-अलग सुझाव देते हैं और हम सब संयुक्त रूप से दो भोजन-सूचियाँ (menu) तय करते हैं, एक दिसंबर 24 की शाम के लिए और एक दिसंबर 25 की दोपहर के लिए। फिर व्यंजन बनाने की विधियाँ सुनिश्चित की जाती हैं। 

इसके पश्चात् हम आवश्यक सामग्री और बर्तन इकट्ठा करते हैं, हम मिलकर तय करते हैं कि कौन क्या करेगा। हम एक व्यक्ति को एक व्यंजन की ज़िम्मेदारी देते हैं तथा बाकी लोग आवश्यकतानुसार उसकी सहायता करते हैं। और फिर हम इसे क्रियान्वित करते हैं।

कभी-कभी हमें क्रियान्वयन के दौरान कुछ बदलाव करना पड़ता है क्योंकि हम कोई बर्तन भूल जाते हैं या कोई सामग्री कम पड़ जाती है। उसमें भी सामंजस्य रहता है क्योंकि हमें एक-दूसरे पर विश्वास है और हम अनिश्चितता को स्वीकार करते हैं (वास्तव में उसमें आनंद लेते हैं)। इस संगठित सामंजस्यपूर्ण ऊर्जा के प्रवाह से हम सर्वश्रेष्ठ क्रिसमस का भोजन तैयार करते हैं और वह जीवन भर के लिए एक यादगार बन जाता है।

तो ऑन्तवाइन, मैं आपको अब एक चुनौती दे रहा हूँ। हम दोनों कब एक साथ मिलकर क्रिसमस मनाने वाले हैं और मिलकर भोजन बनाने वाले हैं?

ऑन्तवाइन - निश्चित रूप से अगले क्रिसमस पर। लेकिन मेरी तीनों बेटियाँ आपको बताएँगी कि खाना बनाने में मैं बहुत खराब हूँ जिसमें सुधार की कोई संभावना नहीं है। इसलिए मैं पेय पदार्थों का इंतज़ाम करूँगा।

अलान - मेरा अनुमान है कि आपके जीवन में भी ऐसे ही कुछ अद्भुत पल होंगे। और निश्चित ही, निराश करने वाले पल भी होंगे। क्या कोई ऐसा अद्भुत पल है जिसका आनंद आप आज भी लेते हैं और उसे हमें बताना चाहेंगे? और हताशा का कोई पल बताना चाहेंगे? आपने उससे उबरने और आगे बढ़ने के लिए क्या किया?

ऑन्तवाइन - मुझे यह समझने में कई वर्ष लग गए कि लोगों से मिलना कितना अद्भुत होता है। जब हम उपयोगवादी दृष्टिकोण, ‘यह व्यक्ति मेरे किस काम आएगा,’ के परे जा पाते हैं तब हम उन मुलाकातों में आनंद प्राप्त करते हैं। प्रत्येक मुलाकात एक-दूसरे से सीखने का एक अवसर है - यह व्यक्ति मुझे क्या कुछ सिखाएगा? मुझे संत बनुवा का यह वाक्य बहुत पसंद है - “उनके साथ संपर्क बनाएँ जिनसे आप कुछ भी अपेक्षा नहीं करते हैं।” प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक जुड़ाव की विशिष्टता मुझे चकित करती है।

निराशा के क्षणों की बात करें तो ये नि:संदेह बार-बार आते हैं। एक्सा क्लाइमेट से पहले, कम उम्र होने के बावजूद मैं एक्सा फ्रांस में एक बहुत वरिष्ठ पद पर था। फिर भी मैं गहरे अवसाद के एक दौर से गुज़रा। मैं सबसे कटा हुआ महसूस करता था। मेरे अंदर की धीमी आवाज़ ने मुझे बचाया जिसने मुश्किल समय में मुझसे कहा, “असल ज़िंदगी तो कहीं और है।” मैं जानता था कि यह मुझे सुनना ही होगा और सब कुछ छोड़कर एक्सा क्लाइमेट के साथ नए सिरे से शुरू करना होगा। 

आपके बारे में एक बात जो मुझे सबसे ज़्यादा आकर्षित करती है - वह है आपके प्रोफ़ाइल में विविधता। आप बचपन से ही विभिन्न देशों में घूमते रहे और निवास करते रहे हैं। क्या आप बताना चाहेंगे कि इससे आपमें कौन सी अच्छी बातें आईं?

हम वास्तव में एक हैं

अलान - मैंने विभिन्न प्रकार की संस्कृतियों, पारिवारिक इतिहास और अनुभवों से जो कुछ भी सीखा, यदि मुझे उसका सार बताने को कहा जाए तो वह यह होगा कि हम सब अपने अस्तित्व के मूल में वास्तव में एक ही हैं। हम सभी की एक समान भावनाएँ हैं - प्रेम, दुख, आशा, संदेह इत्यादि। मेरा मन जब मुझे एकांत और तनहाई की ओर ले जाना चाहता है तब मैं दृढ़ता से स्वयं को याद दिलाता हूँ कि हम सब एक हैं। मेरे हृदय में उत्प्रेरित यह भाव आगे बढ़ने की प्रेरणा है। इसके कारण मैं अंदर मौजूद सबके साथ एकात्मकता की गहरी जागरूकता के साथ एक नई शुरुआत करता हूँ।

ऐसा लगता है कि आज ज़्यादा से ज़्यादा युवा पर्यावरण सुरक्षा के बारे में चिंता का अनुभव कर रहे हैं और परेशान हैं। पर्यावरण विनाश के भय से निपटने के लिए आप उन्हें क्या सुझाव देना चाहेंगे?

ऑन्तवाइन - मेरा मानना है कि बाहरी परिस्थिति और उचित कार्यवाही न कर पाने की बेबसी के मध्य का अंतर ही यह चिंता उत्पन्न करता है। अधिकतर युवा विशेष तौर पर इसी बात के कारण पंगु हो जाते हैं। इस चिंता से पार पाने का मेरा तरीका है - कार्यवाही करो चाहे वह किसी भी स्तर की हो या कितना भी छोटा प्रयास हो। मर्मर पक्षी (humming bird) की तरह कार्य करने की क्षमता को पुनः हासिल करें। सभी कार्यकर्ता, उद्यमी और नेता जिनसे मैं मिलता हूँ, मुस्कराते हैं और इसी बात को अलग-अलग तरीके से कहते हैं - कम से कम मैंने अपने हिस्से का काम तो कर दिया है।

क्या आपको इस विषय पर चिंता होती है? आपने मुझे बताया कि आप प्रतिदिन सुबह एक घंटा ध्यान करते हैं। आप बहुत शांत दिखते हैं।

अलान - मैं मानता हूँ कि यह उस गति पर निर्भर करता है जिससे हम सामूहिक चेतना के ऐसे स्तर पर पहुँच सकेंगे जहाँ से महत्वपूर्ण बदलाव हो पाएँगे। स्वभावतः मैं आशावादी हूँ और जो आपने कहा है उसे पूरी तरह मानता हूँ अर्थात अपने हिस्से का काम करते हुए अपनी खुद की चेतना के विकास पर केंद्रित रहना।

आत्म-पुनरुद्धार 

मुझे लगता है कि यदि पुनर्योजी पारिस्थितिकी तंत्र में लोग अपना ही पुनरुद्धार करने के इच्छुक नहीं हैं या वे ऐसा नहीं कर पाते हैं तो यह व्यर्थ है। आप अपना पुनरुद्धार कैसे करते हैं?

ऑन्तवाइन - व्यक्तिगत तौर पर इसके लिए मैं पुस्तकें पढ़ता हूँ। मेरी छोटी बेटी ने कुछ दिन पहले मुझसे पूछा, “पापा, आप इतना ज़्यादा क्यों पढ़ते हो?” मैंने जवाब दिया, “किसी किताब को खोलने का मतलब है एक जीवित या मृत मित्र से मिलना और उससे बातचीत करना। यह जादू है। ऐसे हज़ारों मित्र हैं जो पुस्तकालय में तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहे हैं।” मार्सल प्रूस्ट की पुस्तक विशेष रूप से हमेशा मेरे साथ रहती है। वे एक गूढ़ लेखक के रूप में प्रख्यात हैं लेकिन उनकी कहानियाँ सरल हैं। जैसे एक छोटे बच्चे की कहानी है जो एक अज्ञात दुनिया में आँखें खोलता है और स्वयं से कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न पूछता है - मैं कौन हूँ, प्रेम कैसे पाया जा सकता है, चीज़ों, स्थानों और मेरे आसपास के लोगों के पीछे की छिपी हुई सच्चाई क्या है, जीवन में आनंद कैसे पैदा करें? मेरे जीवन में आने वाले प्रत्येक महत्वपूर्ण क्षण के लिए (सुख या दुःख) प्रूस्ट के पास सही शब्द हैं।

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और आप किस प्रकार अपना पुनरुद्धार करते हैं? पिछली बार जब हम मिले थे तब आप पुनः ऊर्जित होने के लिए भारत जा रहे थे।

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अलान - मुझे हृदय का स्थान बहुत पसंद है। यह मुझे पुनः ऊर्जित करता है क्योंकि यहाँ मैं समस्त मानवता के हृदय से जुड़ाव महसूस करता हूँ। और जब मैं पूरी तरह से जुड़ा होता हूँ तब मैं आशा, साहस, सौंदर्य, कृतज्ञता, करुणा और आनंद के अलावा और कुछ महसूस नहीं करता। मुझे यह ऊर्जा का अक्षय स्रोत लगता है।

मेरा ध्यान करने का समय होता है सुबह जागने पर और रात को सोने से पहले और कभी-कभी दिन में भी कुछ समय के लिए जब मेरा दिल कहता है। सही अर्थों में यह मेरा साथी है जिसकी अतुलनीय निष्ठा और असीम उदारता मुझे उससे जुड़ने का निमंत्रण देती है जब भी उसे लगता है कि मुझे उसकी ज़रूरत है।

मैं भारत जाता हूँ क्योंकि हैदराबाद में, प्रकृति की गोद में, मेरा एक पारिवारिक घर है जिसे कान्हा शांतिवनम् कहते हैं। यह एक भौतिक स्थान है जो मेरे हृदय के स्थान की तरह लगता है। जब भी मैं वहाँ जाता हूँ, यह मुझे हमारे आपसी जुड़ाव के अनुभव में और अधिक गहराई में जाने में मदद करता है।

आपके साथ कैसा है, ऑन्तवाइन? क्या आपके पास ऐसा कोई विशेष स्थान है जहाँ आप पुनः ऊर्जित होने के लिए जाते हैं?

ऑन्तवाइन - हाँ! कौंतैल है जो मध्य फ्रांस में एक पर्वतीय क्षेत्र है। वह एक सुनसान व खनिज से भरपूर परिदृश्य है। मैं वहाँ घूमना और वहाँ के अनूठे प्रकाश में रहना पसंद करता हूँ।

अलान - जीवन-शक्ति बहुत ताकतवर है। मुझे नेटफ्लिक्स का वृत्तचित्र, ‘ए लाईफ़ ऑन अवर प्लैनेट,’ देखकर सचमुच बहुत अच्छा लगा जिसमें डेविड एटनबरो वर्ष 1986 के चेर्नोबिल परमाणु बिजली संयंत्र आपदा के बाद खाली कराए गए शहर, प्रिप्यट, को दिखाते हैं।

वर्ष 1937 में जब एटनबरो एक बच्चे थे तब से आज के समय तक विश्व की जनसंख्या 2.3 अरब से 7.8 अरब हो गई है जबकि पृथ्वी पर बचा हुआ वनक्षेत्र 66% से घटकर 35% हो गया है। आज जन्मे बच्चे 2030 के दशक में प्रलंयकारी प्रजाति हानि, 2050 के दशक में मूंगा-चट्टानों और मछलियों की आबादी को मरता हुआ और 2080 के दशक में कृषि संकट देखेंगे। 2100 के दशक में हमारा ग्रह 4° सेंटीग्रेड ज़्यादा गर्म हो जाएगा। इस कारण पृथ्वी का बहुत बड़ा भाग रहने के लायक नहीं रह जाएगा जिससे लाखों लोग जलवायु शरणार्थी बन जाएँगे और छठी सामूहिक वैश्विक विलुप्ती हो जाएगी।

विडंबना देखिए कि मानव अनुपस्थिति के कारण वर्ष 1986 के बाद से प्रिप्यट की जैव-विविधता बहुत तेज़ी से बढ़ी है। एटनबरो हमें दिखाते हैं कि प्रकृति ने किस तरह से उस शहर पर नियंत्रण पा लिया और वह अब जंगली जानवरों के लिए एक अभयारण्य बन गया है।

तो क्या आप मानते हैं कि अंततः हम मनुष्य क्या करते हैं इससे प्रकृति को कोई फ़र्क नहीं पड़ता क्योंकि वह तो हमारे बिना भी फलती-फूलती रहेगी? या फिर क्या आप मानते हैं कि प्रजातियों की विविधता के साथ जीवन के विकास में सहयोग देने में हमारी भी कोई भूमिका है?

ऑन्तवाइन - मैं सचमुच यह मानता हूँ कि इसमें मनुष्य की भी भूमिका है क्योंकि वह भी जीवित है और अपनी आस-पास की हर चीज़ से जुड़ा हुआ है। उसके लिए सबसे बड़ा प्रश्न अपनी भूमिका को उजागर करना और उसमें अपना स्थान तलाशना है। निश्चित ही यह भूमिका शोषण, प्रभुत्व या संग्रह तो नहीं हो सकती जैसा कि अब तक वह करता आया है। मुझे यह विचार पसंद है कि मनुष्य अपने विशिष्ट गुणों यानी चेतना, संस्कृति, कला आदि की सहायता से यहाँ प्रकृति को धन्यवाद देने के लिए, उसकी देखभाल करने के लिए और उस पर विद्यमान जीवन के विकास के लिए है। एक पुनर्योजी उद्यम कोई ऐसी कंपनी नहीं है जो समय के साथ विलुप्त हो जाए बल्कि यह एक ऐसी कंपनी होती है जो पूरी दृढ़ता से स्वयं को अपने क्षेत्र में स्थापित रख सके।

अलान - बटरफ़्लाई प्रशिक्षण के दौरान प्रत्येक परिचयात्मक साक्षात्कार के अंत में आप पूछते हैं - “यदि आप एक पौधा होते तो वह कौन-सा होते और क्यों?” तो आपके लिए वह कौन-सा होता?

ऑन्तवाइन - जैतून का पेड़। प्रत्येक जैतून के पेड़ का एक विशिष्ट आकार होता है। यह ज़मीन से जुड़ा है, इसमें फल लगते हैं और आभ्यंतरिक यानी मेडीटेरिनियन संस्कृति की छाप होती है जिससे मुझे विशेष लगाव है। और आप, अलान?

अलान - बहुत मुश्किल है! मैं संभवतः मिर्च का पौधा कहूँगा। स्वास्थ्य लाभों की लंबी सूची के अतिरिक्त ये पौधे वर्ष भर और विश्व भर की लगभग हर जलवायु में मिर्च पैदा करते हैं। इसके अलावा, मुझे मसालेदार खाना पसंद है।

मौन, चेतना और पुनरुद्धार 

ऑन्तवाइन - आप इस बात को अपने बच्चों तक किस प्रकार से पहुँचाएँगे?

अलान - दरअसल, यह आपको उनसे ही पूछना होगा। मैंने वास्तव में इस पर विचार नहीं किया... लेकिन वाकई आपका प्रश्न चक्कर में डालने वाला है। जो कुछ तुरंत दिमाग में आता है, वह यह है कि यह स्वाभाविक रूप से बगैर किसी इरादे के होता है, जब मैं उनके लिए पूर्णतः उपस्थित होता हूँ और वे भी मेरे साथ ऐसा ही करते हैं; दूसरे शब्दों में, हमारी पूर्ण उपस्थिति, हमारा पूरा ध्यान। यह मेरा अनुभव है कि बिना किसी प्रतिबंध या हिचकिचाहट के पूरी तरह से साथ होने की सरल सी बात से प्राणाहुति पाने के लिए क्षेत्र बन जाता है। 

मैं इससे भी एक कदम आगे जाऊँगा। मौन में भी बहुत कुछ दिया जा सकता है। मौन के अंदर शून्यता होती है और हम इसे हमेशा भरने का प्रयास करते रहते हैं। फिर भी मैंने यह पाया है कि इस शून्यता में ही सृष्टि रचना का स्रोत समाया हुआ है। इसलिए इन विशेष क्षणों में ही सबसे सुंदर रचनाएँ होती हैं। वे हमारे भीतर के अनंत से उभरती हैं और आगे सौंप दी जाती हैं। 

क्या आपने कोलीन सिरऊ की वर्ष 1996 की फ़िल्म, ‘लॉ बेल वेर्त’, देखी है? उसके अंत में मौन का समारोह होता है। यह एक मौन वाद्य समूह यानी ऑर्केस्ट्रा की तरह है जिसका हम सब मिलकर आनंद उठाते हैं।

मैं आपसे एक और सवाल पूछना चाहूँगा। चेतना क्या है और चेतना व पुनरुद्धार के बीच आप क्या संबंध जोड़ते हैं?

ऑन्तवाइन - मैं इस संबंध को आध्यात्मिक मानता हूँ। मनुष्य चेतना का उपयोग करके ही सृष्टि और उसके आस-पास की चीज़ों के पुनरुद्धार में भाग ले सकते हैं - एक विस्तारित चेतना, अधिक से अधिक विस्तारित चेतना का उपयोग करके। सचेतन होने का अर्थ एक तरह से पलायन है ताकि किसी वृहत चीज़ से जुड़ सकें और अपने आप में एक अलग तरह से लौट सकें मानो हम अधिक बड़े और परिष्कृत हो गए हों। व्यक्तिगत रूप से अंतरात्मा का यह मार्ग आस्था का मार्ग बन जाता है। कोई भी धार्मिक अनुभव वास्तव में चेतना का अनुभव ही होता है।

कलाकृति - अनन्या पटेल


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