घरप्रेरणाहम वापस कैसे लौटाएँ?

महामहिम पेट्रीशिया स्कॉटलैंड, के.सी. कॉमनवेल्थ की माननीय महासचिव (Secretary General) जनवरी 2024 में भारत में कान्हा शांतिवनम् आई थीं। उनकी इस यात्रा के दौरान उन्हें हार्टफुलनेस का प्रथम चेंजमेकर अवार्ड प्रदान किया गया। यह पुरस्कार उन्हें करुणामयी कार्य द्वारा सेवा करने के प्रति उनकी असाधारण प्रतिबद्धता के लिए दिया गया। यहाँ वे हार्टफुलनेस लर्निंग सेंटर के विद्यार्थियों से जलवायु परिवर्तन, सेवा, बड़े सपने देखने और संसार में बदलाव लाने के बारे में बात कर रही हैं।

प्रश्न - प्रणाम महामहिम। आपसे बात करने का अवसर पाकर हमें बहुत खुशी हो रही है। हमें प्रसन्नता होगी अगर आप हमें अपने जीवन के आरंभिक वर्षों और उन चीज़ों के बारे में बताएँ जिन्होंने आपको अपने व्यवसाय को चुनने में मदद की?

सबसे पहले तो मैं कहूँगी कि मैं यहाँ आप से मिलकर बहुत खुश हूँ। आपने जो प्रस्तुति दी वह इतनी अच्छी थी कि मेरी आँखों में आँसू आ गए।

महासचिव के रूप में मेरी ज़िम्मेदारी है 56 देशों के 250 करोड़ लोगों की सहायता करना। इनमें 60 प्रतिशत लोग 30 वर्ष से कम उम्र के हैं जिसका मतलब है 150 करोड़ युवा। मेरा मानना है कि कॉमनवेल्थ यानी राष्ट्रमंडल के आप सभी युवा मेरे अपने हैं।

आपको सुनते हुए मैं अत्यंत गौरवान्वित महसूस कर रही थी। आपने जो गीत गाया उसने मेरे हृदय को स्पर्श किया - लाखों सपने, लाखों सपने, जिसमें देखते हैं कि दुनिया कैसी हो सकती थी, कैसी होना चाहिए और कैसी हो सकती है। आप सभी इसे उतना सुंदर बनाएँगे जैसा आप चाहते हैं कि यह हो। मैं यह सुनकर बहुत खुश हुई कि आप सपने देखते हैं। आप बड़े-बड़े सपने देखिए और किसी को यह न कहने दीजिए कि वे सच नहीं हो सकते क्योंकि वे सच हो सकते हैं।

आपको कड़ी मेहनत करनी है। और अत्यधिक प्रेम करना है। आपको प्रार्थना करनी है और यह जानना है कि ईश्वर ने आप सभी को कुछ न कुछ प्रतिभा दी है। यह आपका काम है कि आप अपनी प्रतिभा को पहचानें, उसे तराशें और उसका प्रयोग दूसरों के हित में करें। और जो कुछ आज मैंने इस मंच पर देखा है, यदि यह आपकी प्रतिभा की एक छोटी सी बूँद भी है तो आप लोग अद्भुत हैं।

अब मैं आपको अपने बारे में कुछ बताना चाहूँगी क्योंकि आपका यही प्रश्न था। मेरा जन्म केरेबियन के एक छोटे द्वीप कॉमनवेल्थ ऑफ़ डोमिनिका में हुआ था जहाँ 72000 लोग रहते हैं।

सेंट जोज़फ़ के मछुआरों के गाँव में मेरा जन्म हुआ था। मेरे ग्यारह भाई-बहन हैं और अपने भाई-बहनों में मेरा नंबर दसवाँ है। जब मैं बहुत छोटी थी तब मेरा परिवार इंग्लैंड चला गया और लंदन के पूर्वी भाग में मेरा पालन पोषण हुआ जो लंदन का गरीब इलाका है। उस समय ज़्यादातर लोग यह सोचते थे कि किसी भी चीज़ में मेरे सफल होने की संभावना बहुत कम है क्योंकि समाज में एक प्रतिष्ठाक्रम हुआ करता था। मुझे बताया गया कि इस क्रम में सबसे पहले श्वेत पुरुष, फिर अश्वेत पुरुष फिर श्वेत महिलाएँ और उसके बाद सबसे नीचे से भी नीचे अश्वेत महिलाओं की जगह होती है।

मेरा परिवार एक अद्भुत परिवार है जिसमें बहुत प्रेम, देखभाल की भावना और अत्यधिक दृढ़ता है। और उन्होंने मुझ से कहा, जो मैं आपको बताने वाली हूँ - अगर आप चाहो तो कुछ भी कर सकते हो। उस व्यक्ति पर भरोसा मत करो जो आपसे कहता है कि यह असंभव है। जब तक आप काम कर नहीं लेते वह असंभव ही लगता है। और आप उसे करने वाले हैं। 

मैंने अपने पिताजी से कहा, “लेकिन पिताजी यह पहले किसी ने नहीं किया है।”

इस पर वे बोले, “ बहुत अच्छा! इसका मतलब है कि तुम इसे करने वाली पहली हो सकती हो।”

इसलिए अगर कोई आपसे कहता है, “इससे पहले इसे किसी ने नहीं किया।” तो आपका जवाब क्या होना चाहिए?

प्रश्न - सबसे पहले मैं इसे करने वाला हूँ।

सही कहा।

दूसरी बात जो मैंने सीखी वह थी कि यह सचमुच महत्वपूर्ण है कि आप अपने दोस्तों की मदद करें और वे आपकी मदद करें। हम सभी को मैत्री और मदद की ज़रूरत है। एक मुस्कान कितनी अद्भुत चीज़ हो सकती है, उसे कम न आँकें। जब आपका कोई दिन सचमुच बहुत बुरा होता है और आपको लगता है कि चीज़ें इससे बदतर नहीं हो सकतीं तब यदि एक मित्र आपके पास आकर मुस्कुरा दे तो इससे बहुत फ़र्क पड़ता है।

दया आपके अस्तित्व का अविश्वसनीय और महत्वपूर्ण हिस्सा है। मैंने यह पाया कि जब आप अपने मित्रों के प्रति दयालु रहते हैं तो इसका मतलब है कि वे भी आपके प्रति दयालु रहते हैं।

प्रश्न - यह प्रेरक और हृदयस्पर्शी है। महोदया, हम स्कूल के दिनों के आपके प्रिय विषयों के बारे में जानने को उत्सुक हैं।

स्कूल में मेरा प्रिय विषय अंग्रेज़ी था। मैं अंग्रेज़ी पसंद करती थी। मुझे भाषा पसंद थी, मुझे साहित्य और इतिहास पसंद था। लेकिन मेरे परिवार में सभी वैज्ञानिक हैं और वे चाहते थे कि मैं भी वैज्ञानिक बनूँ। मेरे परिवार में लगभग हर क्षेत्र के वैज्ञानिक हैं - रसायन इंजीनियरी, औषध विज्ञान, कृषि विज्ञान - आप बस नाम लीजिए और मेरे परिवार में कोई न कोई उस क्षेत्र में काम कर रहा होगा। वे सोचते थे कि मुझे भौतिकविद होना चाहिए क्योंकि हमारे परिवार में इस क्षेत्र में कोई नहीं था। मेरा भौतिकविद होने का कोई इरादा नहीं था और मेरे सात भाई सोचते थे कि जब तक मेरी बारी आई, यानी जब मेरा जन्म हुआ, तब तक दिमाग की सोचने की शक्ति कम हो गई थी क्योंकि मैं सिर्फ़ एक वकील थी। 

मुझे लोगों के बारे में जानने में भी रुचि थी। आप जो भी करें ऐसा विषय चुनें जो आपको पसंद है, न कि ऐसा जो दूसरों को पसंद है। अगर आप ऐसा विषय चुनते हैं जो आपको पसंद है तो वह आपके लिए काम की तरह नहीं होगा बल्कि एक आनंद का विषय होगा।

मेरे विषय मेरे व्यावसायिक जीवन में कैसे मददगार थे? एक वकील होने के लिए सबसे ज़रूरी बात है भाषा की समझ, विषय को प्रस्तुत करने के लिए उचित व प्रभावी भाषा का प्रयोग और भाषा के प्रति प्रेम। संवाद कैसे करें और विचार को कैसे प्रस्तुत करें, यह महत्वपूर्ण है। मुझे कानून पसंद है क्योंकि मैं भाषा का उपयोग न्याय दिलाने के साधन के रूप में कर सकती हूँ। मैं सदैव उन चीज़ों में डूबी रहती थी जो उचित थीं और जो अनुचित थीं। मुझे लोगों को सताए जाने से, उनकी बात न सुने जाने से, उनके अधिकारों के हनन से और उनकी परवाह न किए जाने से नफ़रत थी। मैं सदैव बदलाव लाना चाहती थी ताकि लोगों को उनके अधिकार मिल सकें।

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आप चाहो तो कुछ भी कर सकते हो। उस व्यक्ति पर भरोसा मत करो जो आपसे कहता है कि यह असंभव है। जब तक आप काम कर नहीं लेते वह असंभव ही लगता है।


प्रश्न - क्या आप हमें राष्ट्रमंडल को समझने में सहायता कर सकती हैं? इसका उद्देश्य क्या है और भारत के युवा राष्ट्रमंडल में अधिक समावेशी व अधिक सम्मिलित कैसे हो सकते हैं?

नए राष्ट्रमंडल की रचना में भारत की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है। इसके अनेक सदस्य राष्ट्र अंग्रेज़ी साम्राज्य में शामिल रहे थे। वर्ष 1949 में आठ देशों को (भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका सहित) स्वतंत्रता मिली थी और प्रश्न यह था कि क्या वे राष्ट्रमंडल परिवार के सदस्य बने रहेंगे? भारत के प्रधानमंत्री ने इसमें बने रहने का निर्णय लिया। जब उनसे पूछा गया कि क्यों, तो उन्होंने कहा, इसलिए कि राष्ट्रमंडल ने हम सभी को कुछ हद तक राहत दी है। 

राष्ट्रमंडल परिवार के देशों में कई चीज़ें समान हैं। हम सब की भाषा एक है, हम अंग्रेज़ी में बात करते हैं, हमारी कानून संरचना समान हैं, एक जैसी संसदीय व्यवस्था है, एक जैसी संस्थाएँ हैं। हम दोनों विश्वयुद्धों में एक साथ लड़े। अगर आप लंदन में मिलेनियम गेट पर जाएँ तो आप उन लोगों के नाम वहाँ पाएँगे जिन्होंने विश्व युद्ध में अपने जीवन का बलिदान दिया था। वहाँ आप देखेंगे कि भारत के लोगों को सर्वाधिक विशिष्ट सेवा पदक (Distinguished Service Orders) मिले।

वर्ष 1953 में ब्रिटेन की महारानी और राष्ट्रमंडल ने कहा कि यह एक बिलकुल नई संकल्पना है जो दया, मैत्री, सम्मान और मानवता के आधारभूत और सर्वश्रेष्ठ तत्वों पर निर्मित है। राष्ट्रमंडल बाकी संसार के लिए एक प्रकाश स्तंभ की भूमिका निभा सकता है। पाँच अलग-अलग क्षेत्रों - यूरोप, एशिया, अफ़्रीका, केरेबियन, पेसिफ़िक - से आने वाले देशों ने, जिनके अलग-अलग लोग व अलग-अलग भाषाएँ हैं, सभी ने समान नैतिक मूल्यों पर एक जैसे दिल से ध्यान दिया। और उन्होंने इस बात को समझा कि अगर मानवता को बचाए रखना है तो हमें साथ मिलकर काम करना होगा।

राष्ट्रमंडल का संबंध प्रजातंत्र से था। यह स्वतंत्रता के लिए था, यह मानव अधिकारों की रक्षा के लिए था, यह व्यापार के विस्तार के लिए था। पचास वर्ष पहले राष्ट्रमंडल ने तय किया कि हमारे बच्चे सबसे महत्वपूर्ण हैं। हम पहली संस्था थे जिनका युवाओं के लिए एक समर्पित कार्यक्रम था। वर्ष 2022 में जब हम किगली में आयोजित चोगम (CHOGM - राष्ट्रमंडल देशों के नेतृत्वकर्ताओं का सम्मेलन) में मिले थे, तब सभी नेताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि युवाओं का पचास वर्षीय उत्सव जारी रहना चाहिए क्योंकि हमारे राष्ट्रमंडल के बच्चे हमारा भविष्य हैं, न केवल आने वाले कल के बल्कि आज के भी नेता हैं।

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अगर आप ऐसा विषय चुनते हैं जो आपको पसंद है तो वह आपके लिए काम की तरह नहीं होगा बल्कि एक आनंद का विषय होगा।


राष्ट्रमंडल कुछ महत्वपूर्ण चीज़ों के लिए भी ज़िम्मेदार रहा है। आप में से ज़्यादातर लोग तब पैदा भी नहीं हुए थे जब दक्षिण अफ़्रीका को रंगभेद के आधार पर विभाजित कर दिया गया था। अश्वेत लोगों को ना के बराबर अधिकार दिए गए थे और श्वेत लोग हावी थे। यह राष्ट्रमंडल ही था जिसने यह कहा, “ऐसी कोई व्यवस्था नहीं हो सकती जिसमें एक नागरिक के अधिकार दूसरे नागरिक के अधिकार से अलग हों। हमारे राष्ट्रमंडल में सभी लोग एक समान होने चाहिए।” राष्ट्रमंडल ने दक्षिण अफ़्रीका को चुनौती दी और कहा, “अगर आप हमारे परिवार का सदस्य बने रहना चाहते हैं तो आप रंगभेद नहीं कर सकते। और अगर आप रंगभेद की व्यवस्था रखना चाहते हैं तो आप हमारे राष्ट्रमंडल के साथ नहीं रह सकते। आप किसी एक को चुनें और यह चुनाव आपका है।” तब दक्षिण अफ़्रीका ने राष्ट्रमंडल छोड़ दिया था लेकिन राष्ट्रमंडल ने रंगभेद की व्यवस्था के विरुद्ध अपनी लड़ाई जारी रखी।

आपने जलवायु परिवर्तन के बारे में बात की। वर्ष 1989 में लंगकावी में राष्ट्रमंडल ने एक उद्घोषणा की थी कि अगर हम अपने तौर-तरीके नहीं बदलते हैं तो हमारा अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। हम लोग तब से जलवायु संबंधी न्याय के लिए लड़ रहे हैं। जलवायु में आ रही गिरावट को रोकने के लिए हम पुनर्योजी दृष्टिकोण लाने पर ज़ोर दे रहे हैं। आप जो कुछ भी यहाँ कान्हा में कर रहे हैं, उसे देखकर मुझे लगता है कि हम यह कर सकते हैं।

आप लोग राष्ट्रमंडल के युवाओं से जुड़ सकते हैं। हमें आपकी आवाज़, आपके जुनून, आपके साहस, आपके ज्ञान और आपके नवप्रवर्तन की ज़रूरत है क्योंकि राष्ट्रमंडल तभी उत्तम बना रह सकता है जब आप इसे ऐसा बनाएँ। यह वैसा ही होगा जैसा आप इसे देखना चाहेंगे। जब तक हम किसी चीज़ को बदलते नहीं, वह नहीं बदलती है। इसकी शुरुआत हमसे ही होती है।

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“ऐसी कोई व्यवस्था नहीं हो सकती जिसमें एक नागरिक के अधिकार दूसरे नागरिक के अधिकार से अलग हों। हमारे राष्ट्रमंडल में सभी लोग एक समान होने चाहिए।”


प्रश्न - मुझे पूरा विश्वास है कि हममें से कई लोग आपके उत्तर से प्रेरित हुए हैं और इस क्षेत्र में ही कोई व्यवसाय चुनेंगे और उसके माध्यम से अपने विचारों को अभिव्यक्त करेंगे ताकि संसार को बेहतर स्थान बनाया जा सके।

एक विद्यार्थी के तौर पर हम नवप्रवर्तन और संधारणीयता के क्षेत्र में सीधे अपना योगदान कैसे दे सकते हैं? 

सबसे महत्वपूर्ण उपायों में से एक है अपने विचार साझा करना। हमने उन लोगों पर गौर किया जो नवप्रवर्तन, खोज और परिवर्तन के संदर्भ में संसार में सबसे अधिक योगदान दे रहे हैं। उनमें से अधिकतर की उम्र 30 वर्ष से कम है। अगर सबसे बड़े यूनिकॉर्न (100 करोड़ मूल्य की कंपनी) की स्थापना करने वालों की ओर देखें तो उनमें से कईयों ने अपनी शुरुआत अत्यंत लघु या लघु और मध्यम स्तर के उद्यमों से की जो नवीन थे, अलग थे और सामान्य नियमों को चुनौती देने वाले थे।

आप संसार की जिस भी समस्या के बारे में जज़्बाती हैं, मैं आपको उसके बारे में सोचने के लिए आमंत्रित करती हूँ। उसके बाद आप अपने आपसे यह सवाल पूछें, “मैं इस समस्या के समाधान में क्या सहायता कर सकता हूँ?” 

याद रखें कि आपको समस्या स्वयं हल नहीं करनी है। लेकिन उस दिशा में किसी को तो पहला कदम उठाना होगा। यह आप अपने स्कूल में भी कर सकते हैं। आप में से कुछ छात्रों का समूह कोई विषय ले, उस पर खोजबीन करे, उसे समझे। उसके बाद आप अपने आपसे पूछ सकते हैं, “मैं इस चीज़ को और बेहतर करने के लिए क्या कर सकता हूँ?”

आप जो भी स्कूल में करते हैं वह कॉमनवेल्थ इयर ऑफ़ यूथ का भाग हो सकता है क्योंकि दूसरे युवा भी जानना चाहेंगे कि आप क्या कर रहे हैं। आप सीख रहे हैं, आगे बढ़ रहे हैं, बदल रहे हैं और यह ज्ञान दूसरों के साथ साझा किया जाना चाहिए। राष्ट्रमंडल सभी अलग-अलग क्षेत्रों से ज्ञान का संग्रह करने के काम में कुशल है।

बहुत कुछ किया जाना है। आप लोग हमारे साथ जुड़ें। इस बात की फ़िक्र न करें कि जो आप कर रहे हैं वह बहुत छोटा काम है। कोई भी काम छोटा नहीं होता। हम सभी को वहीं से शुरू करना होता है, जहाँ हम होते हैं और किसी न किसी को तो पहला कदम उठाना पड़ता है।

शेष अगले अंक में..…


हम सभी को वहीं से शुरू करना होता है, जहाँ हम होते हैं और किसी न किसी को तो पहला कदम उठाना पड़ता है।


 


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पेट्रिशिया स्कॉटलैंड

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