घरकार्यक्षेत्रआपकी नींद कितनी अच्छी है?

पिछले महीने के लेख को जारी रखते हुए स्टैनिस्लस लजूजी हमारी नींद के पैटर्न के बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं और बता रहे हैं कि वास्तव में अच्छी नींद का नित्यक्रम बनाने के लिए क्या आवश्यक है। 

यदि आप अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं तो जल्दी सो जाएँ

1950 के दशक में चूहों पर प्रयोग करने के बाद, जिसकी पुष्टि बाद में मनुष्यों पर प्रयोग से भी की गई, वैज्ञानिकों को पता चला कि नींद के दौरान हमारे मस्तिष्क की तरंगों का पैटर्न लगातार एक जैसा नहीं होता। इसके बजाय मस्तिष्क की तरंगों के पैटर्न में उतार-चढ़ाव पाया गया। यह पैटर्न बदलता रहता था। कभी उच्च आवृत्ति तरंगें, जो जाग्रत अवस्था में मस्तिष्क की गतिविधि के समान होती हैं, तो कभी निम्न आवृत्ति तरंगें, जो गहरी नींद में पाई जाती हैं, देखी गईं।

जाग्रत अवस्था के समान नींद की अवधि की विशेषता थी, आँखों की तीव्र और अनियमित गतिशीलता और स्वप्न। इस प्रकार की नींद को रैपिड आई मूवमेंट (REM-आरईएम) नींद कहा गया। दूसरी अवधि में मस्तिष्क की गतिविधि धीमी हो गई और शरीर पूरी तरह तनावमुक्त हो गया और आँखों में भी कोई गतिशीलता नहीं थी। इस अवस्था को गहरी अथवा एनआरईएम (NREM) नींद कहा गया।

गहरी एनआरईएम नींद के दौरान शरीर अपना इलाज करता है। ऊतकों का पुनर्निर्माण होता है, प्रतिरक्षा तंत्र का नवीनीकरण होता है और ऊर्जा स्तर की भरपाई होती है। मस्तिष्क दिन भर की यादों और शिक्षाओं को समेकित करता है और तंत्रिका तंत्र को क्षति पहुँचाने वाले कारकों (न्यूरोटॉक्सिन) को बाहर निकालता है। 

वास्तव में, गहरी एनआरईएम नींद मस्तिष्क की सफ़ाई का चरण है। इस समय मस्तिष्क की गतिविधि और रक्त संचार कम हो जाता है ताकि ग्लाइम्फैटिक प्रणाली (मस्तिष्क से अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों को साफ़ करती है) सुविधाजनक ढंग से प्रमस्तिष्क मेरु द्रव (सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूइड CSF) और अंतराकाशी द्रव (इंटरस्टीशियल फ़्लूइड ISF) का विनिमय कर सके। इस चरण में ISF की मात्रा 60% बढ़ जाती है जो मस्तिष्क की सफ़ाई करती है और अपशिष्ट पदार्थों को निकालती है।

अनुसंधान यह बताते हैं कि ग्लाइम्फैटिक प्रणाली यादों को समेकित करने में भी सहायता करती है जो संभवतः मस्तिष्क के स्वास्थ्य में नींद की भूमिका को व्यक्त करता है। लंबे समय तक नींद की कमी से इसे नुकसान हो सकता है। इसके कारण विषाक्त अपशिष्ट जमा होने लगता है जिससे व्यक्ति की संज्ञानात्मक क्षमता में कमी होने लगती है तथा तंत्रिका संबंधी विकार उत्पन्न होने लगते हैं जैसे अल्ज़ाइमर रोग।

नींद की शुरुआती अवस्था और क्रमांतरी (transitory) चरण हल्की आरईएम नींद का होता है जिसके बाद क्रमशः गहरी अवस्थाएँ आती हैं। हल्की नींद के दौरान मस्तिष्क की गतिविधि बढ़ जाती है और इसमें आँखों की तीव्र गतिशीलता भी होती है। इस चरण की विशेषता है, सपनों का आना और यादों का उभरना। इसमें मस्तिष्क सभी परिदृश्यों का आंकलन करता है, भावनाओं का महत्वपूर्ण संसाधन करता है और उन्हें स्मृति में सहेजता है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन वयस्कों के लिए सात से नौ घंटे की नींद का सुझाव देता है, हालाँकि व्यक्तिगत ज़रूरतों के अनुसार इसमें भिन्नता हो सकती है। नींद की गुणवत्ता भी मायने रखती है। रात की पूरी नींद में गहरी नींद और हल्की नींद के अनेक चक्र सम्मिलित होते हैं जो शारीरिक और मानसिक स्फूर्ति के लिए आवश्यक हैं। एक औसत नींद का चक्र 90 मिनट तक का होता है और 24 घंटे की अवधि में पर्याप्त स्फूर्ति लाने के लिए लगभग चार या पाँच चक्र होते हैं। अबाधित नींद, बार-बार नींद का न खुलना भी महत्वपूर्ण है। 

नींद की गुणवत्ता सिर्फ़ इस बात पर निर्भर नहीं करती है कि हम कितनी देर तक सोते हैं बल्कि इस पर भी निर्भर करती है कि हम कब सोते हैं। जैविक लय एक प्राकृतिक व आंतरिक प्रक्रिया है जो मनुष्यों सहित सभी प्राणियों में सोने और जागने के चक्र और विभिन्न शारीरिक तथा व्यावहारिक प्रक्रियाओं को प्रतिदिन नियंत्रित करती है। पीनियल ग्रंथि वह मुख्य ग्रंथि है जो जैविक लय को नियंत्रित करती है। पीनियल ग्रंथि मस्तिष्क की गहराई में स्थित है जो सोने-जागने के चक्र तथा मेलाटोनिन हार्मोन के निर्माण सहित विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

पीनियल ग्रंथि हाइपोथैलेमस (एससीएन) में मौजूद तंत्रिकाओं के एक समूह से संकेत ग्रहण करती है जो शरीर की मुख्य जैविक घड़ी के रूप में काम करता है। बाहर के अंधेरे-उजाले के चक्र के बारे में सूचना एससीएन को आँखों की रेटिना की कोशिकाओं के माध्यम से मिलती है जो इस सूचना को फिर पीनियल ग्रंथि को भेजता है। 

जब अंधेरा घिरता है तब एससीएन पीनियल ग्रंथि को मेलाटोनिन का उत्पादन बढ़ाने का संकेत देता है और मेलाटोनिन के स्तर में वृद्धि होने से उनींदापन बढ़ने लगता है जो शरीर को सोने के लिए तैयार करता है। जैसे-जैसे सुबह होती है और रोशनी बढ़ने लगती है तब एससीएन पीनियल ग्रंथि को मेलाटोनिन का उत्पादन कम करने का संकेत देता है जिससे जागृत अवस्था में सहायता मिलती है। इस तरह पीनियल ग्रंथि के द्वारा मेलाटोनिन का स्राव जैविक लय का एक महत्वपूर्ण घटक है जो आंतरिक जैविक प्रक्रियाओं को बाहरी दिन-रात के चक्र के अनुसार व्यवस्थित करता है। 

आपकी नींद कैसी है

हम कब सोते हैं, उसका असर हमारी जैविक लय पर पड़ता है। अगर हम रात 11 बजे के बाद सोने जाते हैं तब हमें ज़्यादा अवधि के लिए एनआरईएम नींद नहीं मिलती है, विशेषकर चरण 3 की बहुत गहरी नींद, जो शारीरिक आरोग्यता और स्वास्थ्य से सर्वाधिक संबद्ध है। चरण 3 नींद के दौरान शरीर में महत्वपूर्ण प्रक्रियाएँ होती हैं जैसे कोशिकाओं की मरम्मत, उनका विकास और प्रतिरक्षा तंत्र की सहायता। इस दौरान मस्तिष्क की ग्लाइम्फैटिक प्रणाली सर्वाधिक सक्रिय होती है। गहरी नींद स्मृतियों को, विशेष रूप से वर्णनात्मक स्मृतियों (तथ्यों, घटनाओं, अनुभवों) को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भावनात्मक संसाधन और उनका नियमन भी गहरी नींद से जुड़ा हुआ है जो भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को व्यवस्थित करने तथा संभवतः मस्तिष्क की भावनात्मक अवस्था को ठीक करने में सहायता करती है।

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जल्दी सोने से उपापचय प्रक्रिया को सहयोग मिलता है और इससे भूख नियंत्रण, उपापचय और तनाव की प्रतिक्रिया से संबंधित हार्मोन के नियंत्रण में सहायता मिलती है। देर से सोना इन प्रक्रियाओं को बाधित करता है एवं उपापचय में असंतुलन और तनाव में वृद्धि कर सकता है।

मेलाटोनिन का स्राव शाम को बढ़ जाता है और तंद्रा यानी उनींदेपन को बढ़ाता है। यदि हम जगे हुए हैं और रोशनी में हैं जबकि हमारा शरीर अंधेरे की अपेक्षा करता है तो मेलाटोनिन का स्तर बढ़ा हुआ रह सकता है जिसके कारण थकान की अनुभूति हो सकती है और हमारी आंतरिक घड़ी तथा बाहरी वातावरण में असंगति आ जाती है। सुबह ऊर्जावान महसूस करने के बजाय मेलाटोनिन की मौजूदगी बनी रह सकती है जिसके कारण जागना मुश्किल हो जाता है। आवश्यक एनआरईएम नींद न लेना मूड की गड़बड़ी का कारण बन सकता है जैसे चिड़चिड़ापन, मनोदशा में बार-बार बदलाव और संभावित मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएँ आदि। 
संक्षेप में, जब हम लगातार रात को 11 बजे के बाद सोने जाते हैं तब हम रात की शुरुआती महत्वपूर्ण एनआरईएम नींद की अवस्थाओं का लाभ उठाने से चूक जाते हैं जिसका हमारे स्वास्थ्य और कार्यक्षमता के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। 


एक औसत नींद का चक्र 90 मिनट तक का होता है और 24 घंटे की अवधि में पर्याप्त स्फूर्ति 
लाने के लिए लगभग चार या पाँच चक्र होते हैं।


अगर आपको अपनी नींद के चक्र में कोई समायोजन करने की ज़रूरत है तो यह सुझाव दिया जाता है कि आप इसे समय लेकर धीरे-धीरे समायोजित करें ताकि आपका शरीर उन बदलावों को स्वीकार कर सके। 

ध्यान - अच्छी नींद और मस्तिष्क की बेहतर कार्य-क्षमता का मार्ग 

अच्छी नींद लेने के लिए स्वस्थ जीवन शैली की आवश्यकता होती है - जल्दी और पर्याप्त समय के लिए सोना, संतुलित काम-काजी जीवन, नियमित व्यायाम, चाय और कॉफ़ी का सेवन कम करना, निश्चित समय पर हल्का भोजन करना।

इसके अलावा ध्यान करने से नींद की गुणवत्ता और मस्तिष्क के कार्य में बहुत लाभ होता है जैसे तनाव में कमी, नींद की गुणवत्ता में वृद्धि, व्यवस्थित जैविक लय और दिन के समय जीवन ऊर्जा बनाए रखना। 

इस विवरण से क्या सीख मिलती है?

सीख स्पष्ट है - नींद की बुद्धिमत्ता हमारी समझ से बहुत परे है। इसकी अनदेखी करने से हमारी जीवन यात्रा जल्दी समाप्त हो सकती है। अस्तित्व की महान व्यवस्था में नींद व्यस्त लोगों के लिए समय की बर्बादी नहीं है बल्कि जीवन की एक आवश्यकता है। हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उसी के अनुसार चलता है और ध्यान की मदद से हमें अच्छा और शांतिपूर्ण आराम मिल सकता है।

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स्टैनिस्लस लजूजी

स्टैनिस्लस लजूजी

स्टैनिस्लस फ्रांस के विदेश मंत्रालय में एक जनसेवक हैं। उन्होंने कई देशों में काम किया है और जहाँ भी वे जाते हैं, उन्हें ध्यान में लोगों का शौक जागृत करने में आनंद आता है। उन्होंने व... और पढ़ें

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